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Pakistan Attacked : जम्मू-कश्मीर में सीजफायर के बाद खुले बाजार तो लौटी रौनक, घरों की ओर वापस आने लगे बाशिं

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Pakistan Attacked :  जम्मू-कश्मीर में सीजफायर के बाद सोमवार की शाम तक सब शांत था। न तो सायरन की आवाजें थीं, न आकाश में दुश्मन के ड्रोन और मिसाइलें…। घरों, मंदिरों व गुरुद्वारों को निशाना बनाने वाली नापाक पाकिस्तानी आर्टिलरी भी खामोश थी। लेकिन, प्रधानमंत्री के राष्ट्र के नाम संबोधन के बाद पाकिस्तानी बौखलाहट फिर सामने आई। बहरहाल दुश्मन सेना के किसी भी दुस्साहस का जवाब देने के लिए हमारी सेनाएं अलर्ट मोड पर हैं।

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तंगधार के कई लोगों ने घर वापसी की राह पकड़ी

लंबे समय बाद रविवार की रात बिना गोलाबारी के गुजरी तो तंगधार के कई लोगों ने घर वापसी की राह पकड़ी। उजड़े घरों का हाल देख लोग बेहाल हो गए। मकान, दुकान, वाहन क्षतिग्रस्त मिले। लोगों का कहना है कि नए सिरे से फिर शुरुआत करनी होगी। इतना पैसा भी नहीं कि घर फिर से बनवा सकें। सरकार मदद करे तो राहत मिल सकती है। शनिवार को संघर्ष विराम के बाद भी पाकिस्तान ने रात में कुछ जगह गोलाबारी की थी। रविवार की रात राहतभरी रही। हालांकि प्रशासन ने लोगों को अभी सुरक्षित जगह रुकने कि लिए कहा है, क्योंकि सीमावर्ती क्षेत्र में बिना फटे बम हो सकते हैं।

कई गांवों में 100 से ज्यादा इमारतें तबाह

पाकिस्तान की ओर से तंगधार में चार रोज तक हर रात भारी गोलाबारी की गई। इन चार दिनों में त्रिबुनि, शमसपोरा, बागबेला, दिलदार, भटपोरा, नवगाबरा जैसे कई गांवों में 100 से ज्यादा इमारतें तबाह हो गई हैं। करीब 50 वाहन भी गोलाबारी में क्षतिग्रस्त हुए हैं।

युद्धविराम के बाद अरनिया बाजार में रौनक लौटने लगी है। सोमवार को व्यापारिक प्रतिष्ठान भी खुले। हालांकि, पूर्णरूप से कारोबार सुचारु नहीं हुआ है, मगर पिछले दिनों के मुकाबले बाजार में चहल-पहल ज्यादा रही। कुछ लोग अभी भी सुरक्षित ठिकानों पर शरण लिए हुए हैं। इनमें ज्यादातर बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएं हैं। घर के मुखिया या अन्य जिम्मेदार सदस्य दिन के उजाले में घर पहुंचकर खेती-बाड़ी से जुड़े कार्य संपन्न कर रहे हैं। जानवरों के चारे की व्यवस्था कर वे शाम ढलते ही वापस राहत शिविरों में लौट जा रहे हैं।

कृषि विभाग का दफ्तर युद्ध के बाद निरंतर खोला

किसान धान की रोपाई में जुट गए हैं। कृषि विभाग का दफ्तर युद्ध के बाद निरंतर खोला जा रहा है, ताकि किसान बीज खरीद सकें। अरनिया में कृषि विभाग ने 475 बैग धान का बीज बेचा है। किसानों का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे गांव के लोग अभी पूरी तरह निश्चिंत नहीं हुए हैं।

दुकानें खुलना शुरू हुई

बारामुला के उड़ी सेक्टर में रविवार की रात शांति रही। लोगों ने दिन में ही घर लौटना शुरू कर दिया था। सोमवार को इसमें तेजी देखी गई। यहां थोड़ी दुकानें खुलना शुरू हुई हैं। अभी लोगों में डर तो है, लेकिन यह धीरे-धीरे हालात सामान्य होने लगे हैं। ऑपरेशन सिंदूर के बाद से ही पाकिस्तान ने उड़ी सहित अन्य नियंत्रण रेखा (एलओसी) के करीब स्थित गावों पर अर्टिलरी फायरिंग शुरू कर दी थी, जिससे स्थानीय निवासियों को घर छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा था।

उड़ी में 15 ऐसे गांव हैं, जो पाकिस्तानी गोलाबारी से प्रभावित हुए हैं। गिंगल, चुरुंडा, सलामबाद, दछना आदि गांवों में सबसे ज्यादा नुकसान बुनियादी ढांचे और रिहाइशी इलाकों को पहुंचा है। यहां के निवासी शफी अहमद ने बताया कि गांव लौटे तो घर व कार बुरी तरह क्षतिग्रस्त मिले। परिवार के साथ वह बारामुला में रह रहे थे। सोमवार को ही लौटे हैं।

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