Uttarkashi Mosque Dispute : उत्तरकाशी में बाजार खुले, संवेदनशील स्थानों पर पुलिस की मौजूदगी

Uttarkashi Mosque Dispute

उत्तरकाशी। Uttarkashi Mosque Dispute  शनिवार को उत्तरकाशी जनपद के सभी बाजार शांति पूर्ण ढंग से खुले। बाजार में खूब चहल-पहल भी दिखी। संवेदनशील स्थानों पर पुलिस भी दिखी। शांति भंग की आशंका को देखते पुलिस ने कालीकमली धर्मशाला से संयुक्त सनातन धर्म रक्षक संघ उत्तरकाशी से जुड़े तीन युवाओं को गिरफ्तार किया।

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हिंदूओं की आवाज को दबाने आरोप

इन तीनों को उपजिलाधिकारी न्यायालय में पेश किया। जहां से इन्हें सात दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है। इन युवाओं को गिरफ्तार किए जाने पर संयुक्त सनातन धर्म रक्षक संघ उत्तरकाशी के लोगों ने आक्रोश व्यक्त किया। पुलिस पर जबरन उठाने और हिंदूओं की आवाज को दबाने आरोप लगाया।

दरअसल संयुक्त सनातन धर्म रक्षक संघ उत्तरकाशी के जितेंद्र चौहान की ओर से शनिवार सुबह सूचना दी गई कि दोपहर 12 बजे काली कमली धर्मशाला में प्रेसवार्ता होगी। करीब साढ़े 12 बजे काली कमली धर्मशाला में संयुक्त सनातन धर्म रक्षक संघ उत्तरकाशी से जुड़े जितेंद्र चौहान, सूरज डबराल और सोनू नेगी पहुंचे। गेट के पास पहुंचते ही पुलिस ने तीनों को गिरफ्तार किया। जिन्हें शांति भंग होने की आशंका के मामले में उपजिलाधिकारी न्यायालय भटवाड़ी के समक्ष पेश किया।

शांति भंग मामले में इन तीनों युवाओं का गत सितंबर माह में पुलिस ने चालान किया था। गत 24 अक्टूबर को जो जुलूस निकाला गया, वह जुलूस भी इन युवाओं के नेतृत्व में आयोजित हुआ था। शनिवार को उपजिलाधिकारी न्यायालय ने तीनों युवाओं को शांति भंग की आंशका को देखते हुए सात दिन की न्यायिक हिरासत में टिहरी जेल भेज दिया।

पुलिस ने गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया (Uttarkashi Mosque Dispute)

भले ही इन युवाओं के नाम 24 अक्टूबर को हुई पत्थरबाजी के मुकदमे में भी नामजद है। परंतु उस मामले की अभी विवेचना नहीं हुई है। उक्त तीनों पर पुलिस ने बवाल करने के मामले में भी पहले से मुकदमा दर्ज किया हुआ है। पुलिस ने गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है।

पूर्व नगर पालिकाध्यक्ष एवं भाजपा नेत्री सुधा गुप्ता ने कहा कि पुलिस हिंदूओं की आवाज को कुचल रही है। जो धाराएं लगाई गई हैं, पुलिस ने जो धाराएं लगाई है वह बेहद ही गंभीर हैं। जिम्मेदार अधिकारी इस आंदोलन को कुचल रहे हैं। परंतु आंदोलन चलता रहेगा। 24 अक्टूबर को पत्थरबाजी हुई थी, वह हिंदूओं की ओर से नहीं की गई है। पुलिसकर्मियों ने महिलाओं और आंदोलनकारियों के साथ अभद्रता और गाली दी है।

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