- कांग्रेस के पास न नेता, न ही विचार दिवाल पर क्या लिखेंगे : भट्ट
भाजपा ने राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शंकराचार्यों की सहभागिता को लेकर कांग्रेस पर भ्रम फैलाने का आरोप लगाया है । साथ ही, हमेशा मंदिर का विरोध करने वाली कांग्रेस के वहां न जाने को उनकी राजनैतिक मजबूरी बताया। दिवाल लेखन की आपत्तियों पर प्रश्न पर उन्होंने कहा कि जिनके पास नेता, कार्यकर्ता, राजनैतिक जमीन दीवार, विचार और मुद्दे नही वे दिवाल पर क्या लिखेंगे ?
पार्टी मुख्यालय में पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए श्री भट्ट ने कहा कि कांग्रेस विघ्नसंतोषी पार्टी है, लिहाजा हमेशा सनातन के कार्यों में बाधा पैदा करने की कोशिश में लगे रहते हैं । उन्होंने निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस प्राण प्रतिष्ठा में शंकराचार्यों के नही जाने को लेकर झूठ फैलाकर भ्रम फैलाने के प्रयास कर रही है । जबकि सच्चाई यह है कि इन धर्माचार्यों ने ऐसी कोई बात न स्वयं कही है न अपने अनुयायियों से कही है । जहां तक सवाल है कांग्रेस के नहीं जाने का तो, जिन्होंने हमेशा श्री राम मंदिर निर्माण का विरोध किया हो उनकी आंखों के सामने मंदिर बनने से उनको सांप सूंघ गया है। अब उनकी तुष्टिकरण की राजनीति का दायरा सिमट गया है, तभी बचे खुचे वोट बैंक को संभालने के लिए प्राण प्रतिष्ठा में नही जा रहे हैं । ऐसे सनातन विरोधी कार्यो के लिए जनता उन्हें 2014 और 2019 की भांति इस बार भी सबक सिखाने जा रही है।
उन्होंने आडवाणी और जोशी के नही जाने की चर्चा को कांग्रेसी अफवाह बताया और कहा कि दोनो हमारे वरिष्ठम नेताओं को मंदिर ट्रस्ट की तरफ से श्री राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा में आने का न्योता दिया गया है। लेकिन सभी जानते हैं कि स्वास्थ्य कारणों से उनका जाना अभी तय नहीं है।
पार्टी के दीवार लेखन को लेकर कांग्रेस की आपत्तियों पर पलटवार कर श्री भट्ट ने कहा कि कांग्रेस के पास न नेता हैं, ना कार्यकर्ता, न राजनीतिक जमीन और न दीवार, न विचार हैं और ना ही कोई मुद्दे हैं । लिहाजा उनकी असल समस्या है कौन दीवार पर लिखेगा और क्या लिखेगा ? उन्होंने व्यंग किया कि हमारे मंत्री पार्टी के कार्यकर्ता के नाते इस कार्यक्रम में सहयोग दे रहे हैं, उनके शासन में मंत्री अपने लिए ही दीवारों पर लिखते पार्टी के लिए नही ।
अब जहां तक सवाल है भाजपा के अभियान का तो हमेशा लोकसभा हो या विधानसभा चुनाव में इस तरह के स्लोगन एवं विचार दीवारों पर लिखे जाते हैं । इस बार भी संवैधानिक मर्यादा और चुनाव आयोग की गाइडलाइन के अनुशार ही वॉल पेंटिंग की जा रही है ।